बेरूत पर हुए इजरायली हमलों का भारत पर क्या होगा असर? समझ लीजिए एक-एक बात

नई दिल्ली : इजरायल ने हिजबुल्लाह चीफ के खात्मे के बाद भी हिजबुल्लाह के ठिकानों पर बमबारी जारी रखी है। इजरायल ने साफ कह दिया है कि वह हमले को रोकेगा नहीं जो भी देश इजरायल के हितों को प्रहार करता है वे उसे बर्बाद करेंगे। इजरायल- हमास के बीच शुरू ह

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नई दिल्ली : इजरायल ने हिजबुल्लाह चीफ के खात्मे के बाद भी हिजबुल्लाह के ठिकानों पर बमबारी जारी रखी है। इजरायल ने साफ कह दिया है कि वह हमले को रोकेगा नहीं जो भी देश इजरायल के हितों को प्रहार करता है वे उसे बर्बाद करेंगे। इजरायल- हमास के बीच शुरू हुआ यह संघर्ष लेबनान तक पहुंचा और इसमें ईरान के भी शामिल होने की संभावना बढ़ गई है। भारत और भारत के लोगों पर इसका क्या असर होगा।

ईरान के साथ संबंधों पर दिखेगा असर

सेंटर फॉर जॉइंट वॉरफेयर स्टडीज के डायेक्टर और रक्षा विशेषज्ञ मेजर जनरल अशोक कुमार (रिटायर्ड) कहते हैं कि भारत की नीति पहले फिलिस्तीन को सपोर्ट करने की थी लेकिन दो दशकों से ज्यादा वक्त से भारत के इजरायल के साथ संबंध बहुत अच्छे हुए हैं। जब भी भारत को इजरायल से सैन्य साजोसामान की, टेक्नॉलजी की या इंटेलिजेंस की जरूरत होती है, इजरायल हमेशा साथ देता है। भारत चाहता है कि वेस्ट एशिया के बाकी देशों के साथ भी संबंध अच्छे रहे। लेकिन अगर इस संघर्ष में ईरान भी शामिल होता है तो तब इजरायल के साथ खड़े होने पर भारत और ईरान के संबंधों पर फर्क पड़ेगा।

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भारत के लिए कितना जरूरी ईरान

ईरान भी भारत के लिए अहम है। वहां हमारा चाहबार पोर्ट है जिसके जरिए यूरोप को जोड़ने के बारे में सोचा है। उन्होंने कहा कि भारत की पॉलिसी अभी सही जगह है लेकिन वेस्ट एशिया में संघर्ष बढ़ने पर भारत के सामने नई चुनौती आएगी। लेकिन भारत ने जैसे अमेरिका और रूस के बीच बैलेंस बनाकर रखा है, तो भारत आने वाले चुनौतियों को भी हैंडल कर लेगा।

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लेबनान से भारत फर्टिलाइजर लेता है, क्या इस पर असर होगा। मेजर जनरल अशोक कुमार (रिटायर्ड) कहते हैं कि भारत ने अपनी सप्लाई चेन काफी बढ़ाई है और इसमें विविधता आई है। देश में भी फर्टिलाइजर का प्रॉडक्श बढ़ाया है साथ ही रूस से भी इंपोर्ट बढ़ा है। भारत ऑर्गेनिक खेती को भी बढ़ाव दे रहा है ताकि आर्टिफिशियल फर्टिलाइजर की जरूरत कम पड़े। इसलिए लेबनान में संकट का असर भारत में नहीं दिख रहा है।

भारत पर अभी सीधा असर नहीं

अंतरराष्ट्रीय मामलों के विशेषज्ञ कमर आगा कहते हैं कि लेबनान पर हो रहे इजरायली हमलों का सीधा असर भारत पर नहीं पड़ेगा लेकिन अगर यह युद्ध फैलता है और उसमें ईरान भी शामिल होता है तब भारत पर सीधा असर होगा। वह कहते हैं कि इसके पूरे चांस दिख रहे हैं कि ईरान इसमें शामिल होगा और फिर ये युद्ध पूरे क्षेत्र में फैलेगा। वह कहते हैं कि अमेरिका और इजरायल के इंटरेस्ट हैं और अमेरिका के चालीस हजार सैनिक उस क्षेत्र में तैनात हैं।

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कमर आगा का कहना है कि अमेरिका का नेवी भी आ रही है और वे हिजबुल्ला के लिए नहीं आ रहे हैं, वे ईरान के लिए आ रहे हैं। वह कहते हैं कि ईरान मजबूत है लेकिन इतना भी नहीं कि अमेरिका के सामने खड़ा हो। ईरान युद्ध में शरीक होता है तो वह तेल की सप्लाई डिस्टर्ब कर सकता है जिससे क्षेत्र में तनाव होगा और तेल की कीमतें सीधे बढ़ जाएंगी। भारत का लक्ष्य 6 से 8 पर्सेंट इकॉनमी ग्रोथ का है, उस पर इसका असर पड़ेगा।

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90 लाख भारतीयों पर असर

90 लाख भारतीय खाड़ी देशों में काम करते हैं, स्थिति खराब होने पर वे वापस आने लगेंगे। मिडिल ईस्ट में भारत का 195 बिलियन डॉलर का बाईलेटरल ट्रेड है, उस पर भी असर पड़ेगा। वहां से इनवेस्टमेंट भी आता है, जिस पर सीधा असर पड़ेगा। कमर आगा कहते हैं कि अब और इंतजार नहीं करना चाहिए और अंतरराष्ट्रीय प्रेशर बढ़ाना चाहिए। यह संघर्ष सही नहीं है, चाहे फिलिस्तीन में या फिर लेबनान में। कोई भी रियायसी बस्तियों पर सीधा अटैक नहीं कर सकता, ये अतंरराष्ट्रीय नियम के विरुद्ध है।

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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